सोमवार, 27 जून 2011

रविवार, 26 जून 2011

करे कोई, पर भरता है हर कोई

एक था पंडित जाना-माना। प्रकांड विद्वान। एक प्रसिद्ध मंदिर का था प्रधान पुजारी। मंदिर के वार्षिकोत्सव की तैयारियां चल रही थीं। कई-कई व्यक्ति लगे थे इन तैयारियों में। पंडित जी उत्साह-उमंग से हर एक तैयारी का जायजा ले रहे थे। एक व्यक्ति एक बड़ी सी पताका को मंदिर के गुंबद पर फहराने की तैयारी कर रहा था। पताका लेकर वह गुंबद पर चढ़ गया। उसी समय पंडित जी मंदिर की गैलरी में खड़े होकर उसे देख रहे थे। वह व्यक्ति अचानक उस गुंबद से नीचे खड़े पंडित जी पर गिर पड़ा। उस व्यक्ति का तो कुछ नहीं बिगड़ा। पंडित जी की गरदन टूट गई। पंडित जी को शीघ्र हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। तब पंडित जी से किसी ने पूछा, ‘यह कैसे हो गया? यह क्यों हो गया?’ पंडित जी का जवाब था, ‘यह कोई जरूरी नहीं है कि दूसरों की गलतियों का आप शिकार नहीं हो सकते। अगर दूसरा गिरता है, तो गरदन मेरी भी टूट सकती है।’
अब विचार कीजिए। स्वयं का आत्मविश्लेषण कीजिए। खुद की परखकीजिए।

-स्वयं की गलतियों का परिणाम कौन-कौन प्राप्त करता है?
-कोई व्यक्ति अपनी भूल का परिणाम स्वयं कितना भुगतता है?
-दूसरों के द्वारा की गई गलतियों का परिणाम परिक्षेत्र कितना होता है।
-वह घटना याद करें, जब स्वयं की गलती का परिणाम स्वयं ने न भुगता हो?
-वह घटना, जब दूसरों के द्वारा की गई गलती केपरिणाम आपको भुगतने पड़े।
-मेरी ऐसी कौन सी गलतियां हैं, जो मैं अकसर करता हूं?
-मेरी गलतियां मुझे कितना सिखाती हैं?

यह जरूरी नहीं है कि कोई अन्य व्यक्ति कोई कार्य करे और उसका आप पर शर्तिया असर न पड़े। यह जरूरी सत्य है कि अन्य व्यक्ति कोई गलती करें, तो शत-प्रतिशत स्वयं पर प्रभाव जरूर पड़ता है। यह प्रभाव चाहे तत्काल न पड़े, मगर प्रभाव पड़ता जरूर है। हर गलती कीमत मांगती है। हर किया गया कार्य हमारे व्यक्तित्व का विस्तार होता है। जो कुछ सामने दिखाई पड़ता है, वह व्यक्तित्व का संकुचित दायरा होता है। जो कुछ क्रिया होती है, उसकी प्रतिक्रिया अवश्य होती है। हमें दूसरों के द्वारा किए गए क्रियाकलापों का असर स्वयं पर हो, इसकेलिए भी तैयार रहना चाहिए। दूसरों की गलतियों से भी हमारी गरदन टूट सकती है।

बुधवार, 22 जून 2011

माधवराज शर्मा की औरत


यह तस्वीर दिल्ली के दिल पर इठलाते हुए दौड़ने वाली मेट्रो ट्रेन की है. इस औरत के हाथ पर दर्ज है... ''माधवराज शर्मा की औरत''. मतलब.. इस औरत का नाम है माधवराज शर्मा की औरत. माधवराज शर्मा इनके पति होंगे. और ये उस पति की औरत हैं, सो इनका नाम हो गया... माधवराज शर्मा की औरत. आज भी समाज में औरत अपने नाम से नहीं बल्कि अपने पति के नाम से जानी जाती है

अत्याधुनिक तकनीक से बनी मेट्रो में सवार ऐसे जनों के मन में दर्ज जागरूकता का लेवल चिंतित करने वाला है. टेक्नोलाजी दिन ब दिन खुद को अपग्रेड कर रही है और हम उस अपग्रेडेशन को स्वीकार भी कर रहे हैं, अपना भी रहे हैं, पर तार्किकता और वैज्ञानिक सोच को बूझने-जानने को हम तैयार नहीं, और न ही इसे कोई सिखाने-बताने वाला है. जिनके कंधों पर देश के लोगों को शिक्षित और जागरूक करने का जिम्मा है, वे चाहते ही नहीं कि लोग चैतन्य हों, उन्नत चेतना वाले हों. इसी कारण कोई धर्म तो कोई जाति का डंका बजाकर अपने अपने जन को भरमा रहा है और उनके वोट दूह कर पांच साल के लिए रफूचक्कर हो जा रहा है. ''माधवराज शर्मा की औरत'' जैसी महिलाओं को देखकर हम भले ही अपने देश की विविधता पर मुग्ध हों, अपने देश की सो-काल्ड संस्कृति पर लट्टू हों, लेकिन सच तो यह है कि यह सब दुखदायी है, अपमानजनक है और औरतों को दोयम मानने-बताने वाला है.

मंगलवार, 21 जून 2011


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक और आध्य सरसंघचालक परम पूजनीय डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी की ७० वी. पुण्यतिथि (२१ जून १९४० ) पर शत शत नमन.

शनिवार, 18 जून 2011


हमारी सरकार है, हम तो ऐसा ही करेंगे...?

पूरे विश्व में जनता का क्रोध,ज्वालमुखी की तरह धधक रहा है, कहीं राजतंत्र के खिलाफ आक्रोश है, तो कहीं जोड़-तोड़ करके प्रजातंत्र चला रहे सरकार के खिलाफ। जनता का आक्रोश जब-जब फूटा है, उसने भ्रष्टाचारी और जनता का हित नहीं देखने वाले तानाशाहों और नेताओं को उखाड़ फेंका है। चलो विश्व को छोडक़र अपने भारत वर्ष की महाभारत के विषय में बात करें जो कि पिछले कई महिनों से चल रहा हैं पहले अन्ना हजारे ने भ्रष्टचार के खिलाफ जो शंखनाद किया उसकी ध्वनि अभी देश में गूंज ही रही थी कि काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ योग सिखाने वाले बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान पर जब अपना रौद्र रूप दिखाया तो सरकार चारों खाने चित होती नजर आई।

बाबा द्वारा जब रामलीला मैदान पर जनता के साथ अपनी लीला दिखाई तो पूरी सरकार पट्टरियों पर भागती नजर आ रही थी, उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि बाबा पर कैसे ब्रेक लगाएं और अपनी सरकार संकट से कैसे बचाएँ। फिर वही हुआ जो सत्ताधारी दल और उसमें बैठे राजनीतिज्ञ योद्धाओं ने अपने पासें फेंकना शुरू किया केंद्रीय मंत्रियों का बाबा से एयरपोर्ट पर मिलने जाना, फाइव स्टार होटल में बैठकर चिट्टी-पत्री करना और जिस प्रकार मध्यरात्रि में सरकार ने अपना काला चेहरा दिखाया वह दहलाने वाला था।

दिनभर गर्मी और दूर-दूराज राज्यों से आई जनता जब आराम कर रही थी, जब 5 हजार पुलिसकर्मियों ने बलपूर्वक लाठिया भंजनी शुरू कर दी, देखते ही देखते रामलीला मैदान को कुरूक्षेत्र बना दिया। यहां केवल घायलों की दर्द से कराहती आवाजें आ रही थी। पूरे विश्व ने यह नजारा देखा और कहा अरे भारत में भी ऐसा हो सकता है।

यह सबको पता था कि बाबा 4 जून को दिल्ली में यह सब करने वाले हैं। सरकार ने बाबा रामदेव की शाही आगवानी करने के लिए अपने चार विश्वसनीय मंत्रियों को हवाई अड्डे पहुंचकर बाबा का स्वागत करवाया और 72 घंटे बाद पुलिस द्वारा बलपूर्वक गिरफ्तार कर भ्रष्टाचार का साथ देने वाली जनता पर लाठियां भांजकर उनका स्वागत किया।

रविवार, 5 जून 2011

श्रवण मावई को विमल पचौरी सम्मान


सीहोर जिले की प्रख्यात साहित्यिक संस्था द्वारा प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी 6 जून को स्वर्गीय विमल पचौरी सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन में नगर के प्रखर पत्रकार श्रवण मावई को विमल सम्मान से नवाजा जाएगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री के सलाहकार शिव चौबे और वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा एवं वर्किंग जर्नलिस्ट के प्रदेश अध्यक्ष राधा वल्लभ शारदा और दैनिक नवप्रभात के संपादक आदित्य नारायण उपाध्याय अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगे।