
हमारी सरकार है, हम तो ऐसा ही करेंगे...?
पूरे विश्व में जनता का क्रोध,ज्वालमुखी की तरह धधक रहा है, कहीं राजतंत्र के खिलाफ आक्रोश है, तो कहीं जोड़-तोड़ करके प्रजातंत्र चला रहे सरकार के खिलाफ। जनता का आक्रोश जब-जब फूटा है, उसने भ्रष्टाचारी और जनता का हित नहीं देखने वाले तानाशाहों और नेताओं को उखाड़ फेंका है। चलो विश्व को छोडक़र अपने भारत वर्ष की महाभारत के विषय में बात करें जो कि पिछले कई महिनों से चल रहा हैं पहले अन्ना हजारे ने भ्रष्टचार के खिलाफ जो शंखनाद किया उसकी ध्वनि अभी देश में गूंज ही रही थी कि काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ योग सिखाने वाले बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान पर जब अपना रौद्र रूप दिखाया तो सरकार चारों खाने चित होती नजर आई।
बाबा द्वारा जब रामलीला मैदान पर जनता के साथ अपनी लीला दिखाई तो पूरी सरकार पट्टरियों पर भागती नजर आ रही थी, उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि बाबा पर कैसे ब्रेक लगाएं और अपनी सरकार संकट से कैसे बचाएँ। फिर वही हुआ जो सत्ताधारी दल और उसमें बैठे राजनीतिज्ञ योद्धाओं ने अपने पासें फेंकना शुरू किया केंद्रीय मंत्रियों का बाबा से एयरपोर्ट पर मिलने जाना, फाइव स्टार होटल में बैठकर चिट्टी-पत्री करना और जिस प्रकार मध्यरात्रि में सरकार ने अपना काला चेहरा दिखाया वह दहलाने वाला था।
दिनभर गर्मी और दूर-दूराज राज्यों से आई जनता जब आराम कर रही थी, जब 5 हजार पुलिसकर्मियों ने बलपूर्वक लाठिया भंजनी शुरू कर दी, देखते ही देखते रामलीला मैदान को कुरूक्षेत्र बना दिया। यहां केवल घायलों की दर्द से कराहती आवाजें आ रही थी। पूरे विश्व ने यह नजारा देखा और कहा अरे भारत में भी ऐसा हो सकता है।
यह सबको पता था कि बाबा 4 जून को दिल्ली में यह सब करने वाले हैं। सरकार ने बाबा रामदेव की शाही आगवानी करने के लिए अपने चार विश्वसनीय मंत्रियों को हवाई अड्डे पहुंचकर बाबा का स्वागत करवाया और 72 घंटे बाद पुलिस द्वारा बलपूर्वक गिरफ्तार कर भ्रष्टाचार का साथ देने वाली जनता पर लाठियां भांजकर उनका स्वागत किया।
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