वन्दे मातरम
जो बरसों तक लड़े जेल में, उनकी याद करें।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।
याद करें काला पानी को, अंग्रेज़ों की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेरते, सावरकर से बलिदानी को।
याद करें बहरे शासन को, बम से थर्राते आसन को,
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, के आत्मोत्सर्ग पावन को।
अन्यायी से लड़ें, दया की मत फरियाद करें।
उनकी याद करें।
याद करें हम पुर्तगाल को, ज़ुल्म सितम के तीस साल को,
फौजी बूटों तले क्रांति को, सुलगी चिनगारी विशाल को।
याद करें सालाज़ारों को, ज़ारों के अत्याचारों को,
साइबेरिया के निर्वासित, शिविरों के हाहाकारों को।
स्वतंत्रता के नए समर का शंख निनाद करें।
उनकी याद करें।
बलिदानों की बेला आई, लोकतन्त्र दे रहा दुहाई।
स्वाभिमान से वही जियेगा, जिससे कीमत गई चुकाई।
मुक्ति माँगती शक्ति संगठित, युक्ति सुसंगत, भक्ति अकम्पित,
कृति तेजस्वी, धृति हिमगिरि-सी, मुक्ति माँगती गति अप्रतिहत।
अंतिम विजय सुनिश्चित, पथ में क्यों अवसाद करें?
उनकी याद करें।
-श्री अटलबिहारी वाजपेयी
(मेरी इक्यावन कविताएँ से)
शनिवार, 14 अगस्त 2010
स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं
वन्दे मातरम
जो बरसों तक लड़े जेल में, उनकी याद करें।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।
याद करें काला पानी को, अंग्रेज़ों की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेरते, सावरकर से बलिदानी को।
याद करें बहरे शासन को, बम से थर्राते आसन को,
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, के आत्मोत्सर्ग पावन को।
अन्यायी से लड़ें, दया की मत फरियाद करें।
उनकी याद करें।
याद करें हम पुर्तगाल को, ज़ुल्म सितम के तीस साल को,
फौजी बूटों तले क्रांति को, सुलगी चिनगारी विशाल को।
याद करें सालाज़ारों को, ज़ारों के अत्याचारों को,
साइबेरिया के निर्वासित, शिविरों के हाहाकारों को।
स्वतंत्रता के नए समर का शंख निनाद करें।
उनकी याद करें।
बलिदानों की बेला आई, लोकतन्त्र दे रहा दुहाई।
स्वाभिमान से वही जियेगा, जिससे कीमत गई चुकाई।
मुक्ति माँगती शक्ति संगठित, युक्ति सुसंगत, भक्ति अकम्पित,
कृति तेजस्वी, धृति हिमगिरि-सी, मुक्ति माँगती गति अप्रतिहत।
अंतिम विजय सुनिश्चित, पथ में क्यों अवसाद करें?
उनकी याद करें।
-श्री अटलबिहारी वाजपेयी
(मेरी इक्यावन कविताएँ से)
जो बरसों तक लड़े जेल में, उनकी याद करें।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।
याद करें काला पानी को, अंग्रेज़ों की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेरते, सावरकर से बलिदानी को।
याद करें बहरे शासन को, बम से थर्राते आसन को,
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, के आत्मोत्सर्ग पावन को।
अन्यायी से लड़ें, दया की मत फरियाद करें।
उनकी याद करें।
याद करें हम पुर्तगाल को, ज़ुल्म सितम के तीस साल को,
फौजी बूटों तले क्रांति को, सुलगी चिनगारी विशाल को।
याद करें सालाज़ारों को, ज़ारों के अत्याचारों को,
साइबेरिया के निर्वासित, शिविरों के हाहाकारों को।
स्वतंत्रता के नए समर का शंख निनाद करें।
उनकी याद करें।
बलिदानों की बेला आई, लोकतन्त्र दे रहा दुहाई।
स्वाभिमान से वही जियेगा, जिससे कीमत गई चुकाई।
मुक्ति माँगती शक्ति संगठित, युक्ति सुसंगत, भक्ति अकम्पित,
कृति तेजस्वी, धृति हिमगिरि-सी, मुक्ति माँगती गति अप्रतिहत।
अंतिम विजय सुनिश्चित, पथ में क्यों अवसाद करें?
उनकी याद करें।
-श्री अटलबिहारी वाजपेयी
(मेरी इक्यावन कविताएँ से)
मंगलवार, 27 जुलाई 2010
189 लोगों ने गरीबी से तंग आकर मौत को गले लगाया
विनीत दुबे / स्वयं को गरीबों की हितैषी बताने वाली राज्य सरकार के पिछले साढ़े तीन साल के कार्यकाल में राज्य के 189 लोगों ने गरीबी से तंग आकर मौत को गले लगा लिया। दूसरी तरफ सरकार के रोजगार के लाखों अवसर मुहैया कराने के दावों की पोल 128 बेरोजगारों ने जान देकर खोल दी।
प्रदेश में बीते साढ़े तीन साल में 34 हजार 446 लोगों ने अलग-अलग कारणों के चलते आत्महत्या की। इस अवधि में ही पुलिस हिरासत में 23 लोगों ने दम तोड़ दिया। इनमें एक दर्जन ने पुलिस हिरासत के दौरान सुसाइड किया। पुलिस रिकार्ड के अनुसार एक जनवरी 07 से 15 जून 2010 के बीच हुई खुदुकुशी में से 6978 मामलों में वजह पता नहीं चली। सर्वाधिक लोगों ने बीमारी की वजह से सुसाइड किया। खुदकुशी की दूसरी बड़ी वजह पारिवारिक कलह बनी। तीसरे नंबर पर दहेज प्रताड़ना और चौथे नंबर पर नशे की लत ने लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। यह जानकारी विधानसभा में गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने रामनिवास रावत के लिखित सवाल के जवाब में दी।
------------------------
सुसाइड का कारण संख्या
बीमारी 5114
परिवार में झगड़े 4309
दहेज 2377
नशा 1666
प्रेम संबंध 507
परीक्षा में फेल 429
अवैध संबंध 319
बदनामी 291
संपत्ति विवाद 250
संतानहीनता 200
व्यवसाय और नौकरी में परेशानी 183
दिवालियापन 178
विवाह टूटना 144
शरीरिक शोषण 117
अवैध गर्भ धारण 58
तलाक 20
अन्य कारण 6978
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प्रदेश में बीते साढ़े तीन साल में 34 हजार 446 लोगों ने अलग-अलग कारणों के चलते आत्महत्या की। इस अवधि में ही पुलिस हिरासत में 23 लोगों ने दम तोड़ दिया। इनमें एक दर्जन ने पुलिस हिरासत के दौरान सुसाइड किया। पुलिस रिकार्ड के अनुसार एक जनवरी 07 से 15 जून 2010 के बीच हुई खुदुकुशी में से 6978 मामलों में वजह पता नहीं चली। सर्वाधिक लोगों ने बीमारी की वजह से सुसाइड किया। खुदकुशी की दूसरी बड़ी वजह पारिवारिक कलह बनी। तीसरे नंबर पर दहेज प्रताड़ना और चौथे नंबर पर नशे की लत ने लोगों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया। यह जानकारी विधानसभा में गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने रामनिवास रावत के लिखित सवाल के जवाब में दी।
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सुसाइड का कारण संख्या
बीमारी 5114
परिवार में झगड़े 4309
दहेज 2377
नशा 1666
प्रेम संबंध 507
परीक्षा में फेल 429
अवैध संबंध 319
बदनामी 291
संपत्ति विवाद 250
संतानहीनता 200
व्यवसाय और नौकरी में परेशानी 183
दिवालियापन
विवाह टूटना 144
शरीरिक शोषण 117
अवैध गर्भ धारण 58
तलाक 20
अन्य कारण 6978
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