शनिवार, 14 अगस्त 2010

स्वतंत्रता दिवस की शुभ कामनाएं

वन्दे मातरम
जो बरसों तक लड़े जेल में, उनकी याद करें।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।

याद करें काला पानी को, अंग्रेज़ों की मनमानी को,
कोल्हू में जुट तेल पेरते, सावरकर से बलिदानी को।
याद करें बहरे शासन को, बम से थर्राते आसन को,
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, के आत्मोत्सर्ग पावन को।
अन्यायी से लड़ें, दया की मत फरियाद करें।
उनकी याद करें।

याद करें हम पुर्तगाल को, ज़ुल्म सितम के तीस साल को,
फौजी बूटों तले क्रांति को, सुलगी चिनगारी विशाल को।
याद करें सालाज़ारों को, ज़ारों के अत्याचारों को,
साइबेरिया के निर्वासित, शिविरों के हाहाकारों को।
स्वतंत्रता के नए समर का शंख निनाद करें।
उनकी याद करें।

बलिदानों की बेला आई, लोकतन्त्र दे रहा दुहाई।
स्वाभिमान से वही जियेगा, जिससे कीमत गई चुकाई।
मुक्ति माँगती शक्ति संगठित, युक्ति सुसंगत, भक्ति अकम्पित,
कृति तेजस्वी, धृति हिमगिरि-सी, मुक्ति माँगती गति अप्रतिहत।
अंतिम विजय सुनिश्चित, पथ में क्यों अवसाद करें?
उनकी याद करें।
-श्री अटलबिहारी वाजपेयी
(मेरी इक्यावन कविताएँ से)

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